
उत्तरकाशी: गंगा दशहरा पर्व पर गंगोत्री धाम में राजा भागीरथ की मूर्ति तैयार कर पालकी में ढोल दमाऊ के साथ उनकी शोभा यात्रा निकाली गई। गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने गंगा लहरी, सहस्त्रनाम पाठ आदि कर गंगा जी की विशेष पूजा अर्चना की।
गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित राजेश सेमवाल ने बताया कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए करीब 11 सौ वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उसके बाद गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की धारा स्वर्ग से शिव की जटाओं में आई थी। उसके बाद गंगा दशहरा को मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। राजेश सेमवाल ने बताया कि गंगा दशहरा पर मां गंगा से देश के लोगों के कल्याण के लिए प्रार्थना की गई।
इस मौके देव डोलियों का भागीरथी में स्नान कराया गया। इसके साथ ही हजारों श्रद्धालुओं ने भी भागीरथी नदी के किनारे पर स्नान किया।

गंगा दशहरा की मान्यता
इसी दिन मां गंगा राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के बाद गंगोत्री धाम में धरती पर पहुंची थी। इसलिए गंगा दशहरा के दिन धाम में राजा भगीरथ की मूर्ति तैयार कर उनकी ओर से तीर्थ पुरोहित विधि विधान के साथ गंगा जी की प्रतीकात्मक पूजा करते हैं।