
देहरादून: नंदा देवी राजजात यात्रा की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक की। इस दौरान सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यात्रा की बेहतर व्यवस्थाओं के लिए जन प्रतिनिधियों, नंदा राजजात यात्रा समिति के सदस्यों और हितधारकों के सुझाव अवश्य शामिल किए जाएं।
बैठक में संबंधित अधिकारियों को यात्रा के सफल संचालन के लिए उच्च स्तरीय समिति के गठन के लिए निर्देशित किया गया। साथ ही निर्देश दिए कि पिछली यात्रा अनुभवों के आधार पर बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए और यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और शौचालय आदि व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाया जाए।
सीएम धामी ने निर्देश दिए कि नंदा देवी राजजात यात्रा मार्ग पर दूरसंचार की व्यवस्थाओं के साथ डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम भी बनाया जाए। यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत हेल्पलाइन नंबर जारी करने और मेडिकल कैंप, चिकित्सकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। नंदा देवी राजजात से संबंधित लोक गीत और लोक कथाओं का अभिलेखीकरण किया जाए साथ ही पर्यटन विभाग द्वारा यात्रा के पड़ावों का व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार भी किया जाए। अधिकारियों को निर्देश दिए कि यात्रा के दौरान पार्किंग स्थलों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए साथ ही प्रदेश के जिन क्षेत्रों से श्रद्धालु और डोलियां इस यात्रा में शामिल होती हैं वहां भी सड़क, पेयजल और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
नंदा राजजात यात्रा के बारे में जानिए
नंदा राजजात यात्रा, जिसे ‘हिमालय की कुंभ यात्रा‘ भी कहा जाता है। यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि लोक संस्कृति, परंपरा, भक्ति और प्रकृति के अद्भुत मिलन का प्रतीक है।
नंदा देवी को उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल अंचल की कुलदेवी माना जाता है। वह शक्ति, करुणा और मातृत्व की देवी हैं, जिन्हें भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में पूजा जाता है। यह यात्रा देवी नंदा के ससुराल (कैलाश) विदा होने की प्रतीकात्मक यात्रा है। यह यात्रा हर 12 वर्षों में एक बार होती है।
यात्रा का आध्यात्मिक महत्व
यह यात्रा केवल शरीर से नहीं, मन और आत्मा से की जाती है। श्रद्धालु इस यात्रा को अपने पापों के प्रायश्चित, सुख-समृद्धि की कामना और देवी से जुड़ने की एक पवित्र साधना मानते हैं। यह यात्रा हिमालय की गोद में बसे लोगों के जीवन, संस्कृति और देवीभक्ति की अद्वितीय झलक प्रस्तुत करती है। नंदा राजजात यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आत्मा है। जिसमें श्रद्धा है, संस्कृति है, साहस है, और प्रकृति का अद्भुत साक्षात्कार है।