
Operation Sindoor: आखिरकार भारत ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर ही दी। इंडियन एयरफोर्स ने मंगलवार आधी रात 1:05 बजे पाकिस्तान और पीओके, यानी पाक अधिकृत कश्मीर के भीतर एयर स्ट्राइक की। इस हमले में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया है। इसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं। भारत की ये जवाबी कार्रवाई पहलगाम हमले के 15 दिन बाद की गई है और इसका नाम दिया है ‘ऑपरेशन सिंदूर’(Operation Sindoor)


ऑपरेशन सिंदूर’ ये नाम उन महिलाओं को समर्पित है, जिनके पतियों की पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने हत्या कर दी थी।
कहा जा रहा है कि कैबिनेट बैठक में पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के लिए तीनों सेनाओं की तारीफ की है। पीएम ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा कि ये नया भारत है। पूरा देश हमारी ओर देख रहा था। ये तो होना ही था।

सेना ने एयर स्ट्राइक के 9:30 घंटे बाद सुबह 10:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी और आर्मी की कर्नल सोफिया कुरैशी और एयरफोर्स से विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी। सबसे पहले एयर स्ट्राइक का 2 मिनट का वीडियो प्ले किया गया। इसमें आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की कार्रवाई दिखाई गई।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि रात 1:05 बजे और 1:30 बजे के बीच ऑपरेशन हुआ। 25 मिनट में पाकिस्तान और पीओके में 9 टारगेट पहचाने गए थे। इन्हें हमने तबाह कर दिया। लॉन्चपैड, ट्रेनिंग सेंटर्स टारगेट किए गए।
ऑपरेशन सिंदूर को इस तरह से दिया गया अंजाम
लक्ष्य 1 – कोटली में अब्बास आतंकवादी शिविर
दूरी – नियंत्रण रेखा (POJK) से 13 किमी
लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षण देने के लिए तंत्रिका केंद्र
50 से अधिक आतंकवादियों के लिए प्रमुख प्रशिक्षण अवसंरचना
07 मई 2025 को सुबह 1.04 बजे नष्ट कर दिया गया
वीडियो सौ: INDIAN ARMY
कोटली का लश्कर का गुरपुर कैंप। पूंछ में 2023 में श्रद्धालुओं पर हमला करने वाले आतंकी यहीं ट्रेंड हुए थे

लक्ष्य 2 – कोटली में गुलपुर आतंकी शिविर
दूरी – नियंत्रण रेखा (POJK) से 30 किमी
लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का नियंत्रण केंद्र और बेस
जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए इस्तेमाल किया गया
07 मई 2025 को सुबह 1.08 बजे नष्ट कर दिया गया
भिम्बर का बरनाला कैंप। यहां हथियार चलाना सिखाया जाता है।
कोटली का अब्बास कैंप। यह एलओसी से 13 किमी दूर है। यहां फिदायीन तैयार होते हैं।

सियालकोट का सरजल कैंप। मार्च 2025 में पुलिस जवानों की हत्या के आतंकवादियों को यहीं ट्रेन किया गया था।
सियालकोट का हिजबुल महमूना जाया कैंप। पठानकोट हमला यहीं प्लान किया गया
मुरीदके का मरकज तैयबा कैंप। अजमल कसाब और डेविड कोलमैन हेडली यहीं ट्रेन हुए थे।
मस्जिद सुभान अल्लाह बहावलपुर जैश का हेडक्वार्टर था। यहां रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग दी जाती थी। बड़े अफसर यहां आते थे।
पीओके में मुजफ्फराबाद स्थित लश्कर के सवाई नाला ट्रेनिंग सेंटर को सबसे पहले निशान बनाया गया। सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम हमले के आतंकियों ने यहीं ट्रेनिंग ली थी।
मुजफ्फराबाद का सैयदना बिलाल कैंप। यहां हथियार, विस्फोटक और जंगल सर्वाइवल की ट्रेनिंग दी जाती थी।